यदि दर्पण का प्रतीक लें तो ‘वार्षिकोत्सव’ किसी कॉलेज की वर्ष भर की गतिविधियाँ का प्रतिबिम्ब है ; निबन्ध की भाषा में समझें तो यह एक सत्र का उपसंहार है ; कथा के रूप में समझें तो यह कथा-सारांश है ; सत्र को एक ग़ज़ल कहें तो इसे मक़्ता समझिए! ‘पारितोषिक-वितरण’ भी इसके साथ जुड़ा हो तो इससे अकादमिक, सांस्कृतिक, खेलकूद और सृजन के अन्यान्य क्षेत्रों की सैकड़ों प्रतिभाओं की उपलब्धियों को मान देने का सन्दर्भ भी जुड़ जाता है। रंगमंच से कुछ चुनिंदा सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ इस समारोह को रंगारंग भी बना देती हैं, तभी तो इसे वार्षिक उत्सव कहा जाता है।
चूरू बालिका महाविद्यालय के लिए 3 मार्च को ऐसा ही अवसर आया। राजस्थान के प्रख्यात चिकित्सक, चूरू के से. नि. पीएमओ डॉ. एम एल शामसुखा सा के प्रेरक सान्निध्य और लोहिया कॉलेज, चूरू के प्राचार्य प्रो. महावीर सिंहजी के मुख्य आतिथ्य ने इस गरिमामय उत्सव में चार चांद लगा दिए। श्रीमती लीलाजी शामसुखा एवं अन्य अतिथियों ने भी मंच को सुशोभित किया। इस अवसर पर सह सचिव श्रीमान राजेशजी भावसिंहका, सदस्य श्रीमान श्याम सुन्दरजी शर्मा, श्रीमान राजेशजी मंडावेवाला ने प्रबन्ध समिति की ओर से अतिथियों का स्वागत किया। प्राचार्य ने वार्षिक प्रतिवेदन पढ़ा और छात्राओं, संकाय सदस्यों सहित समस्त स्टाफ को उपलब्धियों के लिए धन्यवाद दिया, अतिथियों का आभार प्रकट किया।
इस यादगार वार्षिकोत्सव की स्मृतियाँ कुछ चितरामों के साथ!